दे सकते हो तो जीने की बजे दे दो,
जीते तो हम भी है, हमे मालुम है!
मुजे मेरे ही होने क़ा अहेसास दे दो,
जखम एक होते तो हमभी भर लेते!
जखम पे जखम को हम केसे सहे?
ये मेरी तनहाई तो मेरी अपनी ही है,
इसमे सामिल न कोइ मेरे सिवा है!
शिल्पा प्रजापति...
Monday, 6 April 2009
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verry nice ilike .
ReplyDeleteजखम एक होते तो हमभी भर लेते!
ReplyDeleteजखम पे जखम को हम केसे सहे?.... very touching lines
Good one..shilpa...u r good in hindi too
just super... u write well in hindi...
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